मिरिक : खुबसुरत वादियों का शहर

(मिरिक से लौट कर आयुष कु. की रिपोर्ट)
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से लगभग 32 किमी.  की दुरी पर स्थित हैं मिरिक। अभी तक ज्यादा पर्यटन स्थलों के शोरगुल से दूर शांत मिरिक  एक शांत पर्यटन स्थल के रूप मे अपनी नई पहचान बना रहा हैं। लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी लेकके आस-पास बसा यह हिल स्टेशन टी ऐस्टेट व संतरों केबगीचों से घिरा हुआ है और आज के दौरकी जिंदगी के हर दोष से दूर है।लिहाजा यहां बिताई गई कुछदिनों की छुट्टियां आपको आने वाले लंबे समय केलिए फ्रेश कर देंगी। वैसे, मिरिक को देश का सबसे यंगहिल स्टेशन कहा जाता है और पश्चिमी बंगाल मेंयहां संतरों की पैदावार सबसे ज्यादा होती है।यहाँ कई चीजे ऐसी जिन्हें देख आप मन्त्र मुग्ध हो जायेंगे और उनमे सबसे खुबसुरत सुमेंदु लेक हैं। यह लेक जंगल और फ्लावर गार्डन के बीचोबीच स्थित हैं। यहाँ आप अपने परिवार के साथ खुबसुरत प्रकृति के बिच बोटिंग और फिशिंग का मजा उठा सकते हैं। इसके अलावे सिंध देवी टेम्पल भी यहाँ आने वाले पर्यटकों को असीम शांति का अनुभव कराता हैं। देओसी दारा,राइ ढाप,क्व्लय दारा आदि ऐसी जगह हैं जहाँ आप प्रकृति के कायल हो जायेंगे। इसके अलावे मिरिक से 30 किमी.  की दुरी पर दुधिया भी अच्छा पर्यटक स्थल हैं,जहाँ आप घूम सकते हैं। मिरिक का सालो भर मौसम सुहावना होता हैं लेकिन जनवरी से मई और सितम्बर से नवम्बर के बिच का समय यहाँ जाने के लिए सर्वोत्तम हैं। यहाँ पहुँचने के लिए हवाई मार्ग से जाने वालो के लिए  बागडोगरा सबसे नजदीक एयरपोर्ट हैं। वहां से सड़क मार्ग से 55 किमी. की दुरी तय कर आप मिरिक पहुँच जायेंगे।वही रेल मार्ग से जाने वालो को सबसे पहले न्यू जलपाईगुड़ी या सिलीगुड़ी आना होगा। यकीन मानिये,एक बार मिरिक घुमने के बाद आप इसके दीवाने हो जायेंगे।मिरिक से कंचनजंगा और हिमालयकी अन्य पीक्स को देख सकेंगे। ये दृश्य इतने खूबसूरत हैं कि आप हर बार पलकझपकने के बाद के नजारे को अपने कैमरे में कैद करना चाहेंगे।

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