सिमरी बख्तियारपुर सीट पर दो सांसद आमने - सामने..

 





आयुष कुमार की रिपोर्ट..

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का बिगुल बज चुका है. टिकट के लिए शतरंज की बिसात बिछ चुकी है. हर कोई अपनी अपनी दाव - पेंच के साथ अपनी बिसात बिछाने में लगे है.बीते कई दिनों से नाराज चिराग वाली लोजपा आखिरकार मान गई है.सूत्र बताते है कि लोजपा ने कई विधानसभा सीटों के साथ - साथ दो एमएलसी सीट पर हामी भरी है.इसके अलावे कुछेक पसंदीदा सीटों के लिए भी बीजेपी और जदयू के आलाकमान के सामने मांग रख दी है.जिसमे सिमरी बख्तियारपुर सीट भी शामिल है.

● कठिन डगर है पनघट की..

खगड़िया लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट पर लोजपा ने अपनी मजबूत दावेदारी ठोक जदयू खेमे की नींद उड़ा दी है.जानकारी मुताबिक एक साल पहले हुए उप चुनाव में यह सीट जदयू के खाते में गई थी लेकिन इस सीट पर जदयू को राजद के प्रत्याशी जफर आलम से हार झेलनी पड़ी. अब सूत्र बताते हैं कि लोजपा ने अपने पसंदीदा सीटो में सिमरी बख्तियारपुर को रख चुनावी माहौल को चटखारा बना दिया है.इधर इस बात को सिमरी बख्तियारपुर जदयू खेंमे की नींद उड़ गई है.हालांकि यह बात तो तय है कि कोसी किंग माने जाने वाले मधेपुरा सांसद दिनेश चंद्र यादव सिमरी बख्तियारपुर सीट लोजपा को जाने देंगे यह मुमकिन नही दिख रहा.लेकिन राजनीति की दुनिया मे असम्भव कब सम्भव बन जाये इसका पता नहीं चल पाता.इधर जमीनी स्थिति की बात करे तो कल तक क्षेत्र में जदयू के संभावित प्रत्याशी प्रचार - प्रसार में लगे थे वह भी इस घटनाक्रम के बाद पटना के लगातार संपर्क में है.यहां बता दे कि सिमरी बख्तियारपुर सीट हमेशा से दो नेताओं के इर्द - गिर्द ही घूमी है.जिसमे मधेपुरा सांसद दिनेश चंद्र यादव और खगडिया सांसद महबूब अली कैशर शामिल है.अब अगर यह सीट लोजपा के खाते में जाती है तो निश्चित तौर पर इस सीट पर खगड़िया सांसद के पुत्र यूसुफ सलाउद्दीन प्रबल दावेदार हो सकते हैं.वही अगर जदयू में ही रह जाती है तो डॉ अरूण कुमार यादव की टिकट पक्की मानी जा रही है.हालांकि नामांकन के वक्त तक ऊंट किस करवट बैठेगी यह भविष्य तय करेगी.यहां यह बता दे कि मधेपुरा सांसद दिनेश चंद्र यादव एवं खगड़िया सांसद चौधरी महबूब अली कैसर हमेशा एक - दुसरे के विरूद्ध चुनाव इस सीट से लड़ चुके हैं.ऐसे में लोजपा ने अपनी दावेदारी देकर सीधे तौर पर जदयू सांसद को चुनौती पेश करने का काम कर दिया है.अब देखने वाली बात होगी कि खगड़िया सांसद अपने पुत्र के लिए यह सीट लोजपा खाते में ले आते हैं या फिर मधेपुरा सांसद अपने सिपाहसलार के लिए यह सीट सुरक्षित कर जदयू में बचानें में कामयाब हो जाते हैं. यह तो आने वाला कल ही बताएगा लेकिन चंद दिन काफी उथल-पुथल वाला होगा.

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