2014 बॉलीवूड की रोमॅंटिक-कॉमेडी फिल्म हैं।वरुण धवन और आलिया भाट ने फिल्म
मे मुख्य भूमिका निभाई हैं।फिल्म के निर्देशक शशांक खैतान हैं।फिल्म मे
आशुतोष राणा ने भी मुख्य भूमिका निभाई हैं।फिल्म 11 जुलाइ को रिलीज हुई हैं
और दर्शको को फिल्म पसंद आ रही हैं.फिल्म सहरसा के प्रशांत और मधेपुरा रूपवानी मे लग चुकी हैं।
फिल्म हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां में हंप्टी दिल्ली का एक बिंदास लड़का है। जो थोड़ा गुंडा, थोड़ा दिलवाला भी है।
फिल्म दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे के 18 साल बाद इससे मिलती जुलती लेकिन नए जमाने की फिल्म है हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां।
फिल्म में प्यार के तरीकों को नए अंदाज में पिरोने की कोशिश की गई है। यहां प्यार भी सोशल साइटों के पोस्ट पर होता है, यहां युवा हर चीज फटाफट चाहता है।
फिल्म में दुल्हनियां है काव्या सिंह (आलिया भट्ट) जो थोड़ी गुस्सैल है। जिसकी शादी एक उसके पिता की पसंद के एनआरआई अंगद (सिद्धार्थ) के साथ तय हो जाती है।
काव्या की ये ख्वाहिश होती है कि वह अपनी शादी पर करीना कपूर के जैसा लहंगा पहने। इसके लिए काव्या दिल्ली में शादी का जोड़ा खरीदने के लिए जाती है।
यहां उसकी मुलाकाल हंप्टी (वरूण धवन) से होती है। यहां काव्या आती तो शॉपिंग के लिए है लेकिन हंप्टी को दिल दे बैठती है। फिर क्या दोनों का प्यार दिल्ली की पार्टियों में परवान चढ़ता है।
इसके बाद हंप्टी को काव्या के पिता का दिल जीत कर अपनी दुलहनियां बनाकर लाना है। लेकिन फिल्म के पात्र और कहानी "डीडीएलजी" की तरह आगे नहीं बढ़ती हैं।
लेकिन दिलचस्प मोमेंट्स और हंसाने वाले डायलॉग फिल्म को देखने को उत्सुक करते हैं। फिल्म का संगीत समान्य स्तर का है। फिल्म में आलिया साहसी, स्वाभाविक और बहुत अच्छी लग रही हैं।
वहीं वरूण ने अपने रोल में पूरी क्षमता लगा दी है। उन्होंने हंप्टी के किरदार को किसी भी क्षण कमजोर नहीं होने दिया है। सिद्धार्थ फिल्म में अच्छे दिखे हैं लेकिन उनका कुछ ज्यादा योगदान नहीं है। वो फिल्म में किसी भी समय गायब हो जाते हैं।
फिल्म हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां में अच्छा महसूस करने के क्षणों की भरमार है। लेकिन फिल्म में वैसा कुछ भी नहीं है जैसी चाहत युवा अपने दुल्हे और दुलहनियां में रखते हैं।
निर्देशक शशांक खेतान ने अपनी डेब्यू फिल्म से फिल्म "डीडीएजी" को टक्कर देने की कोशिश की है। जिसके पात्र हंप्टी और काव्या हैं। फिल्म दोनों की कैमेस्ट्री बेहद रोचक है। - See more at: http://rajasthanpatrika.patrika.com/article/humpty-sharma-ki-dulhania-review/49772.html#sthash.sN2JOcRX.dpuf
फिल्म दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे के 18 साल बाद इससे मिलती जुलती लेकिन नए जमाने की फिल्म है हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां।
फिल्म में प्यार के तरीकों को नए अंदाज में पिरोने की कोशिश की गई है। यहां प्यार भी सोशल साइटों के पोस्ट पर होता है, यहां युवा हर चीज फटाफट चाहता है।
फिल्म में दुल्हनियां है काव्या सिंह (आलिया भट्ट) जो थोड़ी गुस्सैल है। जिसकी शादी एक उसके पिता की पसंद के एनआरआई अंगद (सिद्धार्थ) के साथ तय हो जाती है।
काव्या की ये ख्वाहिश होती है कि वह अपनी शादी पर करीना कपूर के जैसा लहंगा पहने। इसके लिए काव्या दिल्ली में शादी का जोड़ा खरीदने के लिए जाती है।
यहां उसकी मुलाकाल हंप्टी (वरूण धवन) से होती है। यहां काव्या आती तो शॉपिंग के लिए है लेकिन हंप्टी को दिल दे बैठती है। फिर क्या दोनों का प्यार दिल्ली की पार्टियों में परवान चढ़ता है।
इसके बाद हंप्टी को काव्या के पिता का दिल जीत कर अपनी दुलहनियां बनाकर लाना है। लेकिन फिल्म के पात्र और कहानी "डीडीएलजी" की तरह आगे नहीं बढ़ती हैं।
लेकिन दिलचस्प मोमेंट्स और हंसाने वाले डायलॉग फिल्म को देखने को उत्सुक करते हैं। फिल्म का संगीत समान्य स्तर का है। फिल्म में आलिया साहसी, स्वाभाविक और बहुत अच्छी लग रही हैं।
वहीं वरूण ने अपने रोल में पूरी क्षमता लगा दी है। उन्होंने हंप्टी के किरदार को किसी भी क्षण कमजोर नहीं होने दिया है। सिद्धार्थ फिल्म में अच्छे दिखे हैं लेकिन उनका कुछ ज्यादा योगदान नहीं है। वो फिल्म में किसी भी समय गायब हो जाते हैं।
फिल्म हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां में अच्छा महसूस करने के क्षणों की भरमार है। लेकिन फिल्म में वैसा कुछ भी नहीं है जैसी चाहत युवा अपने दुल्हे और दुलहनियां में रखते हैं।
निर्देशक शशांक खेतान ने अपनी डेब्यू फिल्म से फिल्म "डीडीएजी" को टक्कर देने की कोशिश की है। जिसके पात्र हंप्टी और काव्या हैं। फिल्म दोनों की कैमेस्ट्री बेहद रोचक है। - See more at: http://rajasthanpatrika.patrika.com/article/humpty-sharma-ki-dulhania-review/49772.html#sthash.sN2JOcRX.dpuf
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फिल्म दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे के 18 साल बाद इससे मिलती जुलती लेकिन नए जमाने की फिल्म है हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां।
फिल्म में प्यार के तरीकों को नए अंदाज में पिरोने की कोशिश की गई है। यहां प्यार भी सोशल साइटों के पोस्ट पर होता है, यहां युवा हर चीज फटाफट चाहता है।
फिल्म में दुल्हनियां है काव्या सिंह (आलिया भट्ट) जो थोड़ी गुस्सैल है। जिसकी शादी एक उसके पिता की पसंद के एनआरआई अंगद (सिद्धार्थ) के साथ तय हो जाती है।
काव्या की ये ख्वाहिश होती है कि वह अपनी शादी पर करीना कपूर के जैसा लहंगा पहने। इसके लिए काव्या दिल्ली में शादी का जोड़ा खरीदने के लिए जाती है।
यहां उसकी मुलाकाल हंप्टी (वरूण धवन) से होती है। यहां काव्या आती तो शॉपिंग के लिए है लेकिन हंप्टी को दिल दे बैठती है। फिर क्या दोनों का प्यार दिल्ली की पार्टियों में परवान चढ़ता है।
इसके बाद हंप्टी को काव्या के पिता का दिल जीत कर अपनी दुलहनियां बनाकर लाना है। लेकिन फिल्म के पात्र और कहानी "डीडीएलजी" की तरह आगे नहीं बढ़ती हैं।
लेकिन दिलचस्प मोमेंट्स और हंसाने वाले डायलॉग फिल्म को देखने को उत्सुक करते हैं। फिल्म का संगीत समान्य स्तर का है। फिल्म में आलिया साहसी, स्वाभाविक और बहुत अच्छी लग रही हैं।
वहीं वरूण ने अपने रोल में पूरी क्षमता लगा दी है। उन्होंने हंप्टी के किरदार को किसी भी क्षण कमजोर नहीं होने दिया है। सिद्धार्थ फिल्म में अच्छे दिखे हैं लेकिन उनका कुछ ज्यादा योगदान नहीं है। वो फिल्म में किसी भी समय गायब हो जाते हैं।
फिल्म हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां में अच्छा महसूस करने के क्षणों की भरमार है। लेकिन फिल्म में वैसा कुछ भी नहीं है जैसी चाहत युवा अपने दुल्हे और दुलहनियां में रखते हैं।
निर्देशक शशांक खेतान ने अपनी डेब्यू फिल्म से फिल्म "डीडीएजी" को टक्कर देने की कोशिश की है। जिसके पात्र हंप्टी और काव्या हैं। फिल्म दोनों की कैमेस्ट्री बेहद रोचक है। - See more at: http://rajasthanpatrika.patrika.com/article/humpty-sharma-ki-dulhania-review/49772.html#sthash.sN2JOcRX.dpuf
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फिल्म में प्यार के तरीकों को नए अंदाज में पिरोने की कोशिश की गई है। यहां प्यार भी सोशल साइटों के पोस्ट पर होता है, यहां युवा हर चीज फटाफट चाहता है।
फिल्म में दुल्हनियां है काव्या सिंह (आलिया भट्ट) जो थोड़ी गुस्सैल है। जिसकी शादी एक उसके पिता की पसंद के एनआरआई अंगद (सिद्धार्थ) के साथ तय हो जाती है।
काव्या की ये ख्वाहिश होती है कि वह अपनी शादी पर करीना कपूर के जैसा लहंगा पहने। इसके लिए काव्या दिल्ली में शादी का जोड़ा खरीदने के लिए जाती है।
यहां उसकी मुलाकाल हंप्टी (वरूण धवन) से होती है। यहां काव्या आती तो शॉपिंग के लिए है लेकिन हंप्टी को दिल दे बैठती है। फिर क्या दोनों का प्यार दिल्ली की पार्टियों में परवान चढ़ता है।
इसके बाद हंप्टी को काव्या के पिता का दिल जीत कर अपनी दुलहनियां बनाकर लाना है। लेकिन फिल्म के पात्र और कहानी "डीडीएलजी" की तरह आगे नहीं बढ़ती हैं।
लेकिन दिलचस्प मोमेंट्स और हंसाने वाले डायलॉग फिल्म को देखने को उत्सुक करते हैं। फिल्म का संगीत समान्य स्तर का है। फिल्म में आलिया साहसी, स्वाभाविक और बहुत अच्छी लग रही हैं।
वहीं वरूण ने अपने रोल में पूरी क्षमता लगा दी है। उन्होंने हंप्टी के किरदार को किसी भी क्षण कमजोर नहीं होने दिया है। सिद्धार्थ फिल्म में अच्छे दिखे हैं लेकिन उनका कुछ ज्यादा योगदान नहीं है। वो फिल्म में किसी भी समय गायब हो जाते हैं।
फिल्म हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां में अच्छा महसूस करने के क्षणों की भरमार है। लेकिन फिल्म में वैसा कुछ भी नहीं है जैसी चाहत युवा अपने दुल्हे और दुलहनियां में रखते हैं।
निर्देशक शशांक खेतान ने अपनी डेब्यू फिल्म से फिल्म "डीडीएजी" को टक्कर देने की कोशिश की है। जिसके पात्र हंप्टी और काव्या हैं। फिल्म दोनों की कैमेस्ट्री बेहद रोचक है। - See more at: http://rajasthanpatrika.patrika.com/article/humpty-sharma-ki-dulhania-review/49772.html#sthash.sN2JOcRX.dpuf
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